QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026: भारत के 54 संस्थानों ने बनाई जगह, PM मोदी ने बताया युवाओं को कैसे होगा फायदा

नई दिल्ली, 20 जून 2025: भारत ने वैश्विक शिक्षा के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारत के 54 उच्च शिक्षा संस्थानों ने स्थान बनाया है, जो 2014 में केवल 11 संस्थानों की तुलना में पांच गुना वृद्धि दर्शाता है। यह उपलब्धि भारत को G20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ता शिक्षा तंत्र और वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला देश बनाती है।

PM मोदी और शिक्षा मंत्री ने जताई खुशी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को “शिक्षा क्षेत्र के लिए बड़ी खुशखबरी” करार देते हुए कहा कि उनकी सरकार अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी 2026 रैंकिंग भारत के शिक्षा क्षेत्र की प्रगति को दर्शाती है। हमारी सरकार युवाओं के लिए अनुसंधान और नवाचार के पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत कर रही है, जिससे देश को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिल रही है।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी इस उपलब्धि की सराहना की। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने भारत के शैक्षिक परिदृश्य में क्रांति ला दी है। 2014 में केवल 11 संस्थान इस सूची में थे, जो अब बढ़कर 54 हो गए हैं। यह PM मोदी के नेतृत्व में पिछले एक दशक में किए गए परिवर्तनकारी सुधारों का परिणाम है।”

IIT दिल्ली ने लहराया परचम

रैंकिंग में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली ने 70 पायदान की छलांग लगाकर 123वां स्थान हासिल किया, जो भारत का सर्वोच्च रैंक वाला संस्थान है। IIT बॉम्बे 129वें और IIT मद्रास 180वें स्थान पर हैं, जिसमें IIT मद्रास पहली बार शीर्ष 200 में शामिल हुआ। इस वर्ष आठ नए भारतीय संस्थानों, जैसे IIT गांधीनगर, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, और अशोका यूनिवर्सिटी, को रैंकिंग में शामिल किया गया है।

भारत की वैश्विक स्थिति

क्यूएस रैंकिंग में भारत अब अमेरिका (192 संस्थान), ब्रिटेन (90 संस्थान), और मुख्यभूमि चीन (72 संस्थान) के बाद चौथे स्थान पर है। किसी अन्य देश ने इस वर्ष इतने नए विश्वविद्यालयों को रैंकिंग में शामिल नहीं किया, जिसके बाद जॉर्डन और अजरबैजान (छह-छह संस्थान) दूसरे स्थान पर हैं। लंदन स्थित क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS) द्वारा प्रकाशित यह रैंकिंग विभिन्न प्रदर्शन संकेतकों, जैसे शैक्षणिक प्रतिष्ठा, रोजगार क्षमता, और अनुसंधान प्रभाव, के आधार पर विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन करती है।

देश को कैसे होगा फायदा?

  1. वैश्विक पहचान और अवसर: 54 संस्थानों की रैंकिंग भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता को वैश्विक मंच पर स्थापित करती है, जिससे छात्रों और शिक्षकों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अवसरों में वृद्धि होगी।
  2. रोजगार क्षमता में बढ़ोतरी: पांच भारतीय संस्थान ‘एम्प्लॉयर रेप्यूटेशन’ में वैश्विक शीर्ष 100 में हैं, जो भारतीय स्नातकों की बढ़ती मांग को दर्शाता है। इससे युवाओं को बेहतर रोजगार के अवसर मिलेंगे।
  3. अनुसंधान और नवाचार में प्रगति: NEP 2020 के तहत अनुसंधान पर जोर ने भारत को ‘साइटेशन्स पर फैकल्टी’ में मजबूत किया है, जिसमें आठ संस्थान वैश्विक शीर्ष 100 में शामिल हैं। यह भारत को वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था में अग्रणी बनाएगा।
  4. आर्थिक और सामाजिक विकास: QS एशिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. अश्विन फर्नांडिस के अनुसार, यह प्रगति भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के विजन को समर्थन देती है।

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारत की यह उपलब्धि शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता, अनुसंधान, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने वाली नीतियों का परिणाम है। यह न केवल भारतीय युवाओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा, बल्कि देश की आर्थिक और बौद्धिक प्रगति को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

रिपोर्ट : सुरेंद्र कुमार

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